Ratan Tata का 86 साल की उम्र में निधन

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Ratan Tata : भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। बुधवार की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। रतन टाटा सफल कारोबारी के साथ-साथ बेहद अनुशाषित और सादगी व्यक्तित्व से भरपूर बेहतरीन इंसान थे। उन्होंने टाटा इंडस्ट्रीज को एक अलग ही मुकाम दिया, टाटा ब्रांड ने हिंदुस्तान के हर घर में अपनी पहुँच बनायीं नमक, तेल, चीनी चायपत्ती हो या गरीब मध्यम वर्ग के लिए लखटकिया नैनो कार का सपना हो सब साकार किया रतन टाटा जी ने।

रतन टाटा चैरिटी के लिए भी बहुत मशहूर थे टाटा ट्रस्ट के माध्यम से कंपनी के मुनाफे से 66% चैरिटी करते थे। वे टाटा संस/ग्रुप  के पूर्व चेयरमैन थे उन्होंने देश-विदेश में टाटा की ऐसी ब्रांडिंग की थी कि लोग सिर्फ टाटा के नाम से ही विश्वास कर लेते।

Ratan Tata का राजकीय सम्मान-गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार किया गया:

Ratan Tata का पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स ( NCPA )में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। जहां पर देश के गृह मंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे -देवेंद्र फडणवीस और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि दिए। रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अम्बानी अपनी पत्नी नीता अम्बानी के साथ अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी , कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने श्रद्धांजलि दी। वही सोशल साइट X पर रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए अमिताभ बच्चन ने लिखा ” एक युग का अंत हो गया”

आमिर खान अपनी पूर्व पत्नी किरण राव के साथ रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, जबकि अभिषेक बच्चन अकेले ही पहुंचे थे। वहीं रतन टाटा के चाहने वाले आम नागरिक भी लंबी कतारे लगाकर अंतिम दर्शन कर रहे थे।

रतन टाटा का पार्थिव शरीर को नरीमन पॉइंट से वर्ली के श्मशान घाट लाया गया , जहां उन्हें राजकीय सम्मान गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया उसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।

Ratan Tata पारसी धर्म से लेकिन अंतिम संस्कार हिन्दू धर्म के अनुसार:

Ratan Tata पारसी धर्म से ताल्लुक रखते थे। इसलिए लोगों का अनुमान था कि उनका अंतिम संस्कार भी एक पारसी के जैसा किया जायेगा लेकिन इसके विपरीत रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिन्दू धंर्म के रीती-रिवाज अनुसार किया गया। वर्ली के श्मशान घाट श्थित विद्द्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। 

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार कैसे होता है?

पारसी धर्म में अंतिम सस्कार का नियम हिन्दू धर्म से बिलकुल ही अलग है। हिन्दू धर्म में मृतक के शरीर को जलाकर राख कर दिया जाता है जबकि पारसी धर्म में मृतक के शरीर को प्रकृति के हवाले कर दिया जाता है। पारसी धर्म के अनुसार मरने के बाद भी मृतक का शरीर प्रकृति के काम में आता है। लाश को ले जाकर एक ऊँची गोलाकार जगह पर रख दिया जाता है ये एक विशेष जगह बनाया गया होता है जो बिलकुल ही खुले आसमान में होता है ताकि गिद्ध और अन्य पक्षियों को आसानी से लाश दिखाई दे सके।

जैसे हिन्दुओं के लिए श्मशान, ईसाइयों और मुस्लिमों के लिए कब्रगाह वैसे ही पारसी लोगों के अंतिम संस्कार के जगह को दखमा “टॉवर ऑफ़ साइलेंस” कहा जाता है।